दीदी की गांड में लंड ( sexy story )
मैं एक अच्छे घर-परिवार से हूँ। मेरी उम्र 25 साल, कद
6 फीट, मेरे लिंग की लम्बाई 6.5 ईंच और मोटाई 1.5
ईंच है। मेरे घर में मेरे अलावा माँ और एक बड़ी बहन
भारती हैं जिसकी उम्र 30 साल हैं। वो बहुत
ही फेशनेबल है। मेरी दीदी की फिगर 24-36-24 बहुत
ही मस्त हैं उसकी चूचियाँ भी मस्त बड़ी हैं।
बड़ी दीदी की शादी कुछ चार साल पहले हुई थी पर
अब वो विधवा हो गई हैं।
मुझे मेरी दीदी बचपन से ही बहुत चाहती थी क्यूंकि मैं
घर में सबसे छोटा हूँ। हम दोनो एक ही कमरे में सोते थे
और दीदी के 20 साल की होने तक तो हम एक ही बेड प़र
सोते थे।
प़र एक दिन माँ ने हमे अलग-अलग बिस्तर प़र सोने
को कहा। मैंने हमेशा से ही दीदी को चोदने
की सोची थी और रात को दीदी के सोते समय
उनकी चूचियाँ और चूत कभी कभी दबा लेता था। प़र डर
के कारण आगे कुछ नहीं कर पाता था। हाँ, बाथरूम में मुठ
ज़रूर मार लेता था। दीदी को चोदने को मेरा बहुत मन
करता था।
अब भारती दीदी वापस आ गई थी। सो मैं रोज उससे
अच्छी अच्छी बातें करने
लगा ताकि दीदी को किसी पुरानी घटना की याद न
आये।
एक दिन भारती दीदी बाथरूम से नहाकर आ
रही थी तो अचानक मेरी नज़र उन पर पड़ गई, शायद
बाथरूम में तौलिया नहीं था, वो गीले बदन पर गाउन
पहने थी। भारती दीदी के कपड़े शरीर से चिपके हुऐ थे
और वो बहुत ही सुन्दर लग रही थी।
उस दिन फिर से मैंने मुठ मारी।
हम दोनों हमेशा कंप्यूटर प़र गेम और चैट करते रहते थे।
एक दिन दीदी साथ वाले कमरे में सो रही थी। मैंने
कंप्यूटर प़र जानबूझ कर अन्तर्वासना की एक
कहानी 'दीदी की चुदाई' पढ़नी शुरू की। अचानक
दीदी पास आकर बैठ गई और उसने वो कहानी पढ़
ली उसने मुझसे कहा- तुम यह सब पढ़ते हो क्या?
मैं चुपचाप उनको देखने लगा। मैंने मौका देख कर उसके
होठों पर चूम लिया। भारती दीदी ने मुझे पकड़ कर
अलग कर दिया और कहा- मार खाएगा तू !
और दीदी वहाँ से उठ कर जाने लगी। जाते समय
मेरी तरफ देख रहस्यमयी मुस्कान दी। मैंने भी मुस्कुराते
हुए दीदी की तरफ देखा।
थोड़ी देर में दीदी ने मुझे आवाज़ दी और सोने के लिए
कहा। मैं सोने आ गया। बातों बातों में दीदी ने मुझे
अन्तर्वासना की कहानी के बारे में मुझे पूछा। मैने
भी सब बता दिया।दीदी ने मेरी तरफ देखा, मैंने
मौका देख कर फ़िर उसके होठों पर चूम लिया।
भारती दीदी ने मुझे पकड़ कर अलग करने की कोशिश
की लेकिन मैंने उन्हें छोड़ा नहीं और चूमता रहा।
मैं भारती दीदी के होठों को अपने होठों से चिपका कर
चूमे जा रहा था, वो बेतहाशा पागल हो रही थी।
फिर मैंने दीदी के स्तनों की तरफ हाथ बढ़ाया।
दीदी के स्तनों अग्र भाग को अपनी उँगलियों से
चुटकियों से पकड़ कर गोल गोल
घुमाया तो दीदी सिसिया उठी। मैंने दीदी के चुचूक
पकड़ लिए थे। उनके चुचूकों को जोर से
मींसा तो दीदी फिर से सिसिया उठी, मगर दर्द से।
दीदी के चुचूक तन गए थे, जो ब्रा में उभर आये थे। मैंने उन
पर अपनी उँगलियों के पोर को गोल गोल नचाते हुए
छेड़ा, इसी बीच मैंने दीदी का गाउन उतार कर फेंक
दिया। दीदी के कोमल गौर-बदन की एक झलक देखने
को मिली।
अन्दर दीदी ने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी।
दीदी ने अन्दर सफ़ेद रंग की पैंटी पहनी थी। मैंने
जिंदगी में पहली बार किसी लड़की को इस रूप में
देखा था। भारती दीदी का पूरा शरीर जैसे
किसी सांचे में ढाल कर बनाया गया था। काली ब्रा में
उनके शरीर की कांति और भी बढ़ गई थी। ब्रा के
अन्दर दीदी के बड़े बड़े स्तन कैद थे, जो बाहर आने
को बेकरार लग रहे थे। मैंने ब्रा के स्ट्रेप को कंधे से नीचे
उतार कर स्तनों को ब्रा की कैद से पूरी तरह आजाद
कर दिया। भारती दीदी को नग्न देख कर मेरी हालत
खराब हो गई। मैंने कभी किसी के स्तनों को छूकर
नहीं देखा था फिर से बड़ी बुरी तरह उन्हें मसला।
फिर दीदी ने मेरी टी-शर्ट को ऊपर की ओर
उठा दिया। दीदी ने अपने हाथों से मेरा अंडरवियर
उतार दिया, फिर लिंग को पकड़ लिया।
भारती दीदी मेरे लिंग को देखकर आश्चर्यचकित रह
गई। दीदी ने लिंग को प्यार से सहलाया। दीदी के
हाथ के स्पर्श से ही लिंग में कसाव बढ़ गया। दीदी ने
मुस्कुराते हुए मुझको को चूमा। फिर दीदी तुरंत उसे चूसने
लगी। दीदी को इस तरह से करते हुए देख मजा आ
रहा था। दीदी ने बाकी लिंग को बाहर से चाट चाट
कर चूसा तो मैं भी उत्तेजना से कांप गया।
मैंने उनकी जांघों के ठीक बीच में अपना हाथ
फिराया और दीदी की पैंटी की इलास्टिक में
उँगलियाँ फंसा कर पैंटी को उतार लिया और हाथों से
हल्के हल्के दीदी के योनि प्रदेश को सहलाने
लगा तो दीदी गुदगुदी के मारे उत्तेजित हो रही थी।
कुछ देर बाद भारती दीदी बहुत ही उत्तेजित हो गई
थी हम दोनों ही अब काफी उत्तेजित हो गए थे। अब मैं
दीदी की टांगों को फैला कर खुद बीच में लेट गया। मैंने
भारती दीदी की योनि को सहलाया, उनके चूत
की खुशबू मस्त थी। फिर उस पर पास में पड़ी बोतल से
वैसेलिन निकाल कर लगाई। भारती दीदी की चूत
का छेद काफी छोटा था। मुझे
लगा कि मेरी प्यारी भारती दीदी मेरे लण्ड के वार से
कहीं मर न जाये।
दीदी उत्तेजना के मारे पागल हो रही थी। दीदी ने
मुझे लण्ड अन्दर डालने के लिए कहा।
भारती दीदी की योनि को अच्छी तरह से वैसेलिन
लगाने के बाद फिर से दीदी की टांगों के बीच बैठ
गया। मैंने दीदी की कमर को अपने मजबूत हाथों से पकड़
लिया। मैंने कोशिश करके थोड़ा सा लिंग अन्दर प्रवेश
करा दिया। दीदी हल्के हल्के सिसकारियाँ ले
रही थी। फिर मैंने एक जोरदार झटका मारकर लिंग
को काफी अन्दर तक योनि की गहराई तक अन्दर
पहुँचा दिया कि दीदी की चीख निकल गई।
मैंने दीदी के चेहरे को देखा तो मैं समझ
गया कि दीदी को दर्द हो रहा है। मैंने
दोबारा वैसा ही झटका मारा, तो दीदी इस बार
दर्द से दोहरी हो गई। मैंने यह देख कर उनके होठों पर
चूम लिया वरना दीदी की आवाज़ दूर तक जाती।
दीदी एक मिनट में ही सामान्य नज़र आने
लगी क्योंकि उनके मुँह से हल्की हल्की उत्तेजक
सिसकारियाँ निकल रही थी। मैंने फिर से एक जबरदस्त
धक्का मारा, दीदी इस बार दहाड़ मार कर चीख
पड़ी। मैंने देखा कि इस बार दीदी की आँखों में आँसू तक आ
गए थे। मैंने दीदी के होठों को अपने होठों से
चिपका लिया और जोर-जोर से उन्हें चूमने लगा और साथ
ही दीदी के स्तनों को दबाने लगा।
दीदी भी उतनी तेजी से मुझे चूम रही थी।
मैं हल्के हल्के अपनी कमर चला रहा था। अब दीदी धीरे
धीरे सामान्य होती लग रही थी। मुझे इतना समझ
आया कि जब दीदी को दर्द कम हो रहा है। दीदी ने
अपने टांगों को मेरी कमर के चारों ओर कस लिया। मैंने
ने दीदी के होठों को छोड़ दिया और पूछा- अब मज़ा आ
रहा है क्या ? दर्द तो नहीं है ?
दीदी बोली- आराम से करते रहो ! मैंने एक जोरदार
झटका मारकर अपना लिंग दीदी की योनि में
काफी अन्दर तक ठूंस दिया। इस बार दीदी के मुँह से
उफ़ भी नहीं निकली बल्कि वो आह.. सी.. स्स्स्स...सस...
की आवाज़ें निकाल रही थी।
दीदी बोली- मुझे बहुत अच्छा लग रहा है !
यह देखकर तीन चार जोरदार शॉट मारे और लिंग जड़
तक दीदी की योनि में घुसा दिया और अपने
होठों को दीदी के होठों से चिपका उनके ऊपर चित्त
लेटा रहा।
अब झटकों की गति और गहराई दोनों ही बढ़ा दी। आधे
घंटे त़क दीदी के रास्ते में मैं दौड़ लगाता रहा फिर
दीदी ने अपनी टाँगें ढीली कर ली। दीदी स्खलित
हो गई थी। कुछ ही देर में मेरा शरीर ढीला हो गया।
काफी देर मैं दीदी के ऊपर लेटा रहा। दीदी मेरे
होठों को बार बार चूम रही थी और आत्मसंतुष्टि के
भाव के साथ मुस्कुरा रही थी। मैंने दीदी के कामरस
को खूब पिया उन्होंने मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत में
चिपका दिया था। भारती दीदी को रात में 3 बार
चोदा। हर रात मजा कर रहा हूँ।
6 फीट, मेरे लिंग की लम्बाई 6.5 ईंच और मोटाई 1.5
ईंच है। मेरे घर में मेरे अलावा माँ और एक बड़ी बहन
भारती हैं जिसकी उम्र 30 साल हैं। वो बहुत
ही फेशनेबल है। मेरी दीदी की फिगर 24-36-24 बहुत
ही मस्त हैं उसकी चूचियाँ भी मस्त बड़ी हैं।
बड़ी दीदी की शादी कुछ चार साल पहले हुई थी पर
अब वो विधवा हो गई हैं।
मुझे मेरी दीदी बचपन से ही बहुत चाहती थी क्यूंकि मैं
घर में सबसे छोटा हूँ। हम दोनो एक ही कमरे में सोते थे
और दीदी के 20 साल की होने तक तो हम एक ही बेड प़र
सोते थे।
प़र एक दिन माँ ने हमे अलग-अलग बिस्तर प़र सोने
को कहा। मैंने हमेशा से ही दीदी को चोदने
की सोची थी और रात को दीदी के सोते समय
उनकी चूचियाँ और चूत कभी कभी दबा लेता था। प़र डर
के कारण आगे कुछ नहीं कर पाता था। हाँ, बाथरूम में मुठ
ज़रूर मार लेता था। दीदी को चोदने को मेरा बहुत मन
करता था।
अब भारती दीदी वापस आ गई थी। सो मैं रोज उससे
अच्छी अच्छी बातें करने
लगा ताकि दीदी को किसी पुरानी घटना की याद न
आये।
एक दिन भारती दीदी बाथरूम से नहाकर आ
रही थी तो अचानक मेरी नज़र उन पर पड़ गई, शायद
बाथरूम में तौलिया नहीं था, वो गीले बदन पर गाउन
पहने थी। भारती दीदी के कपड़े शरीर से चिपके हुऐ थे
और वो बहुत ही सुन्दर लग रही थी।
उस दिन फिर से मैंने मुठ मारी।
हम दोनों हमेशा कंप्यूटर प़र गेम और चैट करते रहते थे।
एक दिन दीदी साथ वाले कमरे में सो रही थी। मैंने
कंप्यूटर प़र जानबूझ कर अन्तर्वासना की एक
कहानी 'दीदी की चुदाई' पढ़नी शुरू की। अचानक
दीदी पास आकर बैठ गई और उसने वो कहानी पढ़
ली उसने मुझसे कहा- तुम यह सब पढ़ते हो क्या?
मैं चुपचाप उनको देखने लगा। मैंने मौका देख कर उसके
होठों पर चूम लिया। भारती दीदी ने मुझे पकड़ कर
अलग कर दिया और कहा- मार खाएगा तू !
और दीदी वहाँ से उठ कर जाने लगी। जाते समय
मेरी तरफ देख रहस्यमयी मुस्कान दी। मैंने भी मुस्कुराते
हुए दीदी की तरफ देखा।
थोड़ी देर में दीदी ने मुझे आवाज़ दी और सोने के लिए
कहा। मैं सोने आ गया। बातों बातों में दीदी ने मुझे
अन्तर्वासना की कहानी के बारे में मुझे पूछा। मैने
भी सब बता दिया।दीदी ने मेरी तरफ देखा, मैंने
मौका देख कर फ़िर उसके होठों पर चूम लिया।
भारती दीदी ने मुझे पकड़ कर अलग करने की कोशिश
की लेकिन मैंने उन्हें छोड़ा नहीं और चूमता रहा।
मैं भारती दीदी के होठों को अपने होठों से चिपका कर
चूमे जा रहा था, वो बेतहाशा पागल हो रही थी।
फिर मैंने दीदी के स्तनों की तरफ हाथ बढ़ाया।
दीदी के स्तनों अग्र भाग को अपनी उँगलियों से
चुटकियों से पकड़ कर गोल गोल
घुमाया तो दीदी सिसिया उठी। मैंने दीदी के चुचूक
पकड़ लिए थे। उनके चुचूकों को जोर से
मींसा तो दीदी फिर से सिसिया उठी, मगर दर्द से।
दीदी के चुचूक तन गए थे, जो ब्रा में उभर आये थे। मैंने उन
पर अपनी उँगलियों के पोर को गोल गोल नचाते हुए
छेड़ा, इसी बीच मैंने दीदी का गाउन उतार कर फेंक
दिया। दीदी के कोमल गौर-बदन की एक झलक देखने
को मिली।
अन्दर दीदी ने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी।
दीदी ने अन्दर सफ़ेद रंग की पैंटी पहनी थी। मैंने
जिंदगी में पहली बार किसी लड़की को इस रूप में
देखा था। भारती दीदी का पूरा शरीर जैसे
किसी सांचे में ढाल कर बनाया गया था। काली ब्रा में
उनके शरीर की कांति और भी बढ़ गई थी। ब्रा के
अन्दर दीदी के बड़े बड़े स्तन कैद थे, जो बाहर आने
को बेकरार लग रहे थे। मैंने ब्रा के स्ट्रेप को कंधे से नीचे
उतार कर स्तनों को ब्रा की कैद से पूरी तरह आजाद
कर दिया। भारती दीदी को नग्न देख कर मेरी हालत
खराब हो गई। मैंने कभी किसी के स्तनों को छूकर
नहीं देखा था फिर से बड़ी बुरी तरह उन्हें मसला।
फिर दीदी ने मेरी टी-शर्ट को ऊपर की ओर
उठा दिया। दीदी ने अपने हाथों से मेरा अंडरवियर
उतार दिया, फिर लिंग को पकड़ लिया।
भारती दीदी मेरे लिंग को देखकर आश्चर्यचकित रह
गई। दीदी ने लिंग को प्यार से सहलाया। दीदी के
हाथ के स्पर्श से ही लिंग में कसाव बढ़ गया। दीदी ने
मुस्कुराते हुए मुझको को चूमा। फिर दीदी तुरंत उसे चूसने
लगी। दीदी को इस तरह से करते हुए देख मजा आ
रहा था। दीदी ने बाकी लिंग को बाहर से चाट चाट
कर चूसा तो मैं भी उत्तेजना से कांप गया।
मैंने उनकी जांघों के ठीक बीच में अपना हाथ
फिराया और दीदी की पैंटी की इलास्टिक में
उँगलियाँ फंसा कर पैंटी को उतार लिया और हाथों से
हल्के हल्के दीदी के योनि प्रदेश को सहलाने
लगा तो दीदी गुदगुदी के मारे उत्तेजित हो रही थी।
कुछ देर बाद भारती दीदी बहुत ही उत्तेजित हो गई
थी हम दोनों ही अब काफी उत्तेजित हो गए थे। अब मैं
दीदी की टांगों को फैला कर खुद बीच में लेट गया। मैंने
भारती दीदी की योनि को सहलाया, उनके चूत
की खुशबू मस्त थी। फिर उस पर पास में पड़ी बोतल से
वैसेलिन निकाल कर लगाई। भारती दीदी की चूत
का छेद काफी छोटा था। मुझे
लगा कि मेरी प्यारी भारती दीदी मेरे लण्ड के वार से
कहीं मर न जाये।
दीदी उत्तेजना के मारे पागल हो रही थी। दीदी ने
मुझे लण्ड अन्दर डालने के लिए कहा।
भारती दीदी की योनि को अच्छी तरह से वैसेलिन
लगाने के बाद फिर से दीदी की टांगों के बीच बैठ
गया। मैंने दीदी की कमर को अपने मजबूत हाथों से पकड़
लिया। मैंने कोशिश करके थोड़ा सा लिंग अन्दर प्रवेश
करा दिया। दीदी हल्के हल्के सिसकारियाँ ले
रही थी। फिर मैंने एक जोरदार झटका मारकर लिंग
को काफी अन्दर तक योनि की गहराई तक अन्दर
पहुँचा दिया कि दीदी की चीख निकल गई।
मैंने दीदी के चेहरे को देखा तो मैं समझ
गया कि दीदी को दर्द हो रहा है। मैंने
दोबारा वैसा ही झटका मारा, तो दीदी इस बार
दर्द से दोहरी हो गई। मैंने यह देख कर उनके होठों पर
चूम लिया वरना दीदी की आवाज़ दूर तक जाती।
दीदी एक मिनट में ही सामान्य नज़र आने
लगी क्योंकि उनके मुँह से हल्की हल्की उत्तेजक
सिसकारियाँ निकल रही थी। मैंने फिर से एक जबरदस्त
धक्का मारा, दीदी इस बार दहाड़ मार कर चीख
पड़ी। मैंने देखा कि इस बार दीदी की आँखों में आँसू तक आ
गए थे। मैंने दीदी के होठों को अपने होठों से
चिपका लिया और जोर-जोर से उन्हें चूमने लगा और साथ
ही दीदी के स्तनों को दबाने लगा।
दीदी भी उतनी तेजी से मुझे चूम रही थी।
मैं हल्के हल्के अपनी कमर चला रहा था। अब दीदी धीरे
धीरे सामान्य होती लग रही थी। मुझे इतना समझ
आया कि जब दीदी को दर्द कम हो रहा है। दीदी ने
अपने टांगों को मेरी कमर के चारों ओर कस लिया। मैंने
ने दीदी के होठों को छोड़ दिया और पूछा- अब मज़ा आ
रहा है क्या ? दर्द तो नहीं है ?
दीदी बोली- आराम से करते रहो ! मैंने एक जोरदार
झटका मारकर अपना लिंग दीदी की योनि में
काफी अन्दर तक ठूंस दिया। इस बार दीदी के मुँह से
उफ़ भी नहीं निकली बल्कि वो आह.. सी.. स्स्स्स...सस...
की आवाज़ें निकाल रही थी।
दीदी बोली- मुझे बहुत अच्छा लग रहा है !
यह देखकर तीन चार जोरदार शॉट मारे और लिंग जड़
तक दीदी की योनि में घुसा दिया और अपने
होठों को दीदी के होठों से चिपका उनके ऊपर चित्त
लेटा रहा।
अब झटकों की गति और गहराई दोनों ही बढ़ा दी। आधे
घंटे त़क दीदी के रास्ते में मैं दौड़ लगाता रहा फिर
दीदी ने अपनी टाँगें ढीली कर ली। दीदी स्खलित
हो गई थी। कुछ ही देर में मेरा शरीर ढीला हो गया।
काफी देर मैं दीदी के ऊपर लेटा रहा। दीदी मेरे
होठों को बार बार चूम रही थी और आत्मसंतुष्टि के
भाव के साथ मुस्कुरा रही थी। मैंने दीदी के कामरस
को खूब पिया उन्होंने मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत में
चिपका दिया था। भारती दीदी को रात में 3 बार
चोदा। हर रात मजा कर रहा हूँ।
you are maderchode
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